भूमध्यसागरीय हवा
: समरेंद्र विश्वास
अनुवाद – नीलम शर्मा ‘अंशु’
भूमध्यसागरीय
हवा में भी अनवरत् जीवन और मृत्यु का फानूस है। हमास-नियंत्रित गाज़ा पट्टी से एक
के बाद एक कई हवाई जहाज़ इज़राइल की ओर भागे आए। इस हमले के तुरंत बाद इज़राइल ने
जवाबी हमला किया। इज़राइली सैन्य कमांडर का वायरलेस संदेश तुरंत फैल गया 'स्ट्राइक!'
'पीछे मत देखो।'
भयावह आवाज़! गाज़ा
शहर का 'शोरेउक टावर' क्षण भर में रेत के पहाड़ की तरह ढह गया। नसीमा ढही हुई इमारत और आग की लपटों से कुछ
दूरी पर भौंचक्की सी खड़ी थी। पास
ही अलायेन खून से लथपथ पड़ा है। एक अज्ञात अंकल दौड़ते हुए आए और उसे कंधे से धकेलते
हुए चीख उठे, 'ए लड़की! भाग ले यहाँ से। जिधर सभी भाग रहे हैं उधर भाग।'
हर तरफ धूल भरी आँधी। आग की तपिश से बदन की चमड़ी झुलस रही है। नसीमा कुछ
समझ पाती इससे पहले ही वह भागने लगी। उधर उसका जिगरी दोस्त अलायेन खून से लथपथ बरामदे
में पड़ा है।
##
चारों तरफ भयावह स्थिति है। वे शोरेउक टॉवर के एक फ्लैट में रहते हैं। कल
रात, सोने से पहले, नसीमा ने अपनी अम्मी और अब्बू को फिक्रमंद हो बातचीत
करते देखा था। किसी भी वक्त इस गाज़ा शहर पर दोबारा हमला हो सकता है। यह सब सुनते-सुनते
नसीमा बिंदास सो गई।
इस गाज़ा शहर में दिन-रात का यह तनाव स्वभाविक है। इसका कारण छुपा हुआ है
यहूदी – प्रधान इज़राइल, हमास प्रभावित
गाज़ा-पट्टी, फिलिस्तीन, अरब इन सब देशों के दीर्घकालीन इतिहास में। शहर
के कई अन्य लोगों की तरह, नसीमा के
अम्मी-अब्बू भी डर के साये में रहते हैं। रातों को उन्हें नींद नहीं आती।
नसीमा अब नौ साल की है। सामरिक अस्थिरता के कारण नसीमा का स्कूल भी बंद
हैं। उस दिन, सुबह जल्दी उठकर
नाश्ते के बाद उसके माता-पिता टीवी पर समाचार देख रहे थे। इसी दौरान लड़की पता
नहीं कब खुद ही नीचे आ गई। उनके 'शोरेउक टॉवर' के बगल में ही एक और विशाल टॉवर है। नसीमा को
पता था कि वहाँ अलायेन उसका इंतज़ार कर रहा होगा। दस वर्षीय लड़का, उसका दोस्त है। यह उनकी प्रतिदिन खेलने की जगह
है।
नसीमा मुस्लिम है। लेकिन उसका दोस्त अलायेन यहूदी है। उनके पूर्वज इज़राइल, मक्का, यरूशलेम आदि जगहों से होते हुए गाज़ा शहर में स्थाई रूप से बस गए। अलायेन
और नसीमा पास के ही एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं। वे रहते भी आस-पास के दो
टावरों में हैं।
गाज़ा शहर में भूमध्यसागरीय हवा की कसैली गंध है। केवल युद्ध और मार-काट।
हमास या इज़रायली हमलावर सेनाओं द्वारा सीमा पर घुसपैठ जारी है।
इसी बीच, अलायेन और
नसीमा हमेशा की तरह टावर के नीचे खाली पेवमेंट पर बैठे खेल रहे थे। उन दोनों ने
सामने के ढेर से कुछ ईंटें और पत्थर इकट्ठा करके एक किला बनाया। किले की प्राचीर
पर दो छोटे-छोटे बंदूकधारी सैनिक और एक प्लास्टिक की कमान।
उस किले में प्लास्टिक के बंदूकधारी सिपाहियों को सजाते हुए अलायेन नसीमा
से कह रहा था, 'क्या तुम बड़ी
होकर मुझसे शादी करोगी?'
नसीमा ने ख़बरदार करते हुए कहा, 'तुम नहीं जानते? बच्चों को शादी की बातें नहीं करनी चाहिए।'
अलायेन ने नसीमा की आँखों में देखकर कहा, 'आज मैं तुम्हें माता-पिता की एक गुप्त कहानी बताउंगा। वादा करो, किसी को नहीं बताओगी।'
तभी हवाई जहाज़ का तीव्र गर्जन सुनाई दिया। कुछ बमवर्षक विमान बढ़े आ रहे
हैं।
सर के ऊपर ज़ोरदार गर्जन। वे दोनों चिल्लाए 'जल्दी से फर्श पर लेट जाओ।' हवाई जहाज़ की आवाज़ सुनकर नसीमा और अलायेन आत्मरक्षा के लिए ग्राउंड फ्लोर
के फुटपाथ पर लेट गए। उन्हें स्कूल में इसी तरह प्रशिक्षित किया जाता है।
गाज़ा शहर तब तक सतर्क हो कर थम गया है। भयानक
विस्फोट। भयंकर शोर। बदन को झकझोर कर मानो ज़मीन दो हिस्सों में बँट गई हो।
रेत के घरौंदों की भाँति, नसीमा की सोलह
मंज़िला विशाल इमारत 'शोरेउक टॉवर' ढह गई।
तभी अलायेन की दर्दनाक चीख सुनाई दी। विस्फोट के संग-संग ही मलबे के टुकड़े, बड़े पत्थरों के ढेले ग्राउंड फ्लोर पर तेजी से
आ गिरे। जहाँ वे खेल रहे थे।
लड़की सदमे से स्तब्ध हो गई थी। थोड़ी देर बाद नसीमा ने कोहनियाँ टिकाकर
सिर उठाया। देखा कि उसके दोस्त अलायेन का बदन
ज़मीन पर औंधा पड़ा है। सिर से निरंतर खून बह रहा है। नसीमा उठ कर खड़ी हुई और
अपने साथी का हाथ पकड़ कर खींचा। अलायेन का बदन हल्की सी कंपन के साथ फर्श पर शांत
हो गया।
अत्यधिक तपिश से नसीमा का बदन झुलस रहा है। लोग सड़कों से होकर भाग रहे हैं।
उनमें से एक ने देखा कि ग्राउंड फ्लोर के फर्श पर एक लड़की खड़ी है और उसके बगल
में खून से लथपथ एक लड़का लेटा हुआ है। वह आदमी भयभीत स्वर में चिल्लाया। अजनबी
अंकल के हाथ ने नसीमा के कंधे को स्पर्श किया, 'अरे लड़की, भाग ले यहाँ से।
फिर बम गिरेगा - मारी जाएगी।'
अलायेन के बदन को ज़मीन पर अकेला छोड़कर, नसीमा इमारत के पेवमेंट से निकल आई। कुछ क़दम चलने के बाद नसीमा को अहसास
हुआ कि उनके फ्लैट सहित 'शोरेउक टॉवर' ढह गया है।
उसकी अम्मी और अब्बू कहाँ हैं? वह अपने घर
कैसे वापस जाएगी? वहाँ आग की
लपटें जल रही हैं। उनके अपार्टमेंट में जाने का रास्ता टूटी इमारतों के मलबे से
अटा पड़ा है। सर उठाकर ऊपर देखने पर भी फ्लैट की कोई बालकनी या खिड़की नज़र नहीं आ
रही। बस धुएं और धूल से ढका एक गंदा आसमान। मानो नसीमा किसी अन्य अनजान शहर में खो
गई हो। भाग रहे लोगों की भीड़ में लड़की फिर से रुक गई। अपनी ढही हुई इमारत से
थोड़ी दूर खड़े होकर वह फूट-फूट कर रोने लगी।
सभी लोग तेजी से सामने की तरफ भाग रहे हैं। नसीमा फिर दौड़ने लगी।
कुछ देर दौड़ने के बाद वह थक गई और एक लैंप पोस्ट के पास रुक गई। एक
दुकानदार शटर बंद कर रहा था। वह अपनी बोतल से पानी गटक रहा था। नसीमा को प्यास लगी
थी। वह उसे पानी पीते देख रही थी।
दुकानदार ने पानी पीना छोड़ उसे देखा। अकेली खड़ी गोरी-चिट्टी बच्ची। हाफ
स्कर्ट पहन रखी थी। टॉप पसीने से भीग गया था। बच्ची आँखें फाड़-फाड़ कर दुकानदार की
बोतल निहार रही थी।
'क्या देख रही
हो? आसमान से बम गिर रहे हैं। और गिरेंगे। हमारे
गाज़ा के शहरों में इजरायली सेना प्रवेश कर चुकी है। तुम्हारे साथ और कौन-कौन है?'
बच्ची के मुँह से कोई शब्द नहीं निकला।
'पानी पिओगी?'
नसीमा ने हाँ में सिर हिलाया। अजनबी व्यक्ति के हाथ से बोतल लेकर पानी गटक
लिया।
'घर कहाँ है?'
'शोरेउक टॉवर
में! अम्मी और अब्बू नहीं मिल रहे हैं। हमारा घर आग में जल गया है!'
'तुम्हारे अम्मी-अब्बू
ज़रूर आगे-आगे गए होंगे। एक मंज़िला स्कूल की इमारत में आश्रय लिया होगा। सामने की
तरफ आगे बढ़ो, पता लगाओ। यह लो।' दुकानदार अंकल ने अपने झोले से एक छोटा सा
पैकेट लड़की के हाथ में थमाया - 'भूख लगे तो खा
लेना। देख नहीं रही? सभी भाग रहे
हैं। यहाँ से जल्दी भागो। सामने वाले स्कूल की इमारत में या जहाँ भी आश्रय मिले घुस
जाना। किसी भी वक्त बम दोबारा गिर सकते हैं।'
नसीमा सड़क से नीचे उतरी और फिर सामने की ओर दौड़ने लगी। उसे नहीं पता कि
उसका सुरक्षित ठिकाना कहाँ है। थोड़ी देर पहले देखे उन भयानक दृश्यों को वह अपने
दिमाग से नहीं मिटा पा रही थी। नसीमा की आँखें भर आईं। वह तुरंत सड़क पर रुक गई।
उसके पीछे एक बुजुर्ग आंटी तेजी से आ रही थीं। इस गोरी-चिट्टी बच्ची को
पीछे मुड़कर तकते देख वे ज़ोर से चिल्लाई, 'ए लड़की, रो मत, बेटा। हमारे भूमध्य सागर में आग लगी है। अगर ज़िंदा
रही तो सब कुछ वापस मिल जाएगा। 'यहाँ से सामने
की तरफ भाग चलो।'
नसीमा का मन अभी भी पीछे की तरफ लगा है। जहाँ उनका शोरेउक टॉवर है।
अब तक वह लगभग दो किलोमीटर आगे बढ़ आई थी। सामने
ही नज़र आ रहा है उनका प्राइमरी स्कूल। सामरिक एहतियात के तौर पर क़रीब एक सप्ताह
पहले ही नोटिस देकर बच्चों के स्कूल को बंद कर दिया गया था। सामने का गेट बंद है।
कुछ लोग अभी भी स्कूल के गेट और ऊँची दीवार को फाँद एक मंजिला कमरों में शरण ले
रहे थे।
लोग सुरक्षा के लिए सड़क पर सामने की तरफ भाग रहे हैं। इस देश में कौन सा
आश्रय सुरक्षित है भला?
सड़क पर उन सभी भाग रहे लोगों के कानों में अचानक झकर-झकर की ध्वनि सुनाई
दी। बहुत दूर एक टैंकर सर उठाए बढ़ा चला आ रहा है। तुरंत सड़क फिर से खाली हो जाती
है। लोग दुकानों, खंभों, घरों की दीवारों, पानी के हौज़ों के पीछे इधर-उधर जगह ढूँढकर छिप रहे हैं।
आगे ख़तरा है, आगे बढ़ने का
कोई रास्ता नहीं है। भयावह स्थिति है। कुछ अन्य लोगों के साथ, नसीमा दाहिनी ओर के एक संकरी रास्ते की तरफ
मुड़ गई। दो ढह चुके मकानों के खंडहरों के बीच से रास्ता आगे की तरफ बढ़ रहा है।
रास्ते पर ईंट, पत्थर, घर की अधजली वस्तुएं पड़ी हैं। नसीमा इन ऊँचे उत्तप्त
खंडहरों से होकर गुज़रती है। पत्थर, कूड़ा-कर्कट, मलबे का ऊँचे-नीचे ढेर उसकी
चप्पल को भेद कर पाँवों के तलवों को तपा रहे हैं। ज़मीन बुझ गई आग की तपिश से तप
रही है। उसकी स्कर्ट के नीचे की अनावृत त्वचा और बारीक रोएं मानों अभी झर जाएंगे।
इस तपिश और खंडहरों के बीच से होते हुए थोड़ा आगे बढ़ने पर एक साफ मैदान नज़र
आ रहा है।
मैदान पार कर नसीमा एक और मध्यम आकार की कंक्रीट की सड़क पर आ गई। अपने घर
से दौड़ते-भागते हुए पता नहीं वह कितनी दूर आ गई थी? बैठ कर उसने
थोड़ा सा सुस्ता लिया। यह रास्ता साफ़ है।
दूर कुछ लोग नज़र आ रहे हैं। वे लोग सामने की तरफ बढ़े चले जा रहे हैं। नसीमा
फिर उनके पीछे-पीछे चलने लगी। इनके बीच काफ़ी फ़ासला है। भूमध्य सागर की नमकीन हवा
में लड़की का तन पसीने से भीगा जा रहा है। इस सड़क के दोनों ओर टूटे-फूटे हुए मकान
हैं।
चलते-चलते नसीमा को एक-एक करके घटित घटनाएं याद आने लगीं। एक ढहती हुई
इमारत, उनका फ्लैट, टावर। उसके साथ प्रतिदिन खेलने वाले दोस्त अलायेन
की निर्जीव देह।
नहीं, नसीमा अब और
नहीं सोच पा रही। उसे बहुत भूख लगी है। उसके हाथ में दुकानदार अंकल द्वारा दिया
गया केक का छोटा पैकेट है।
कितना समय हो गया है? शहर की सारी
घड़ियां संभवत: अब तक बंद हो
चुकी होंगी। इन इलाकों में बहुत दिनों तक लाइट और पानी नहीं आएगा। कुछ महीने पहले
भी तो इजरायली हवाई जहाज़ ने उनके पंप हाउस और पावर हाउस पर बमबारी की थी।
नसीमा सामने चल रहे लोगों का अनुसरण करते हुए दौड़े जा रही है। और कब तक उसे
चलना होगा?
तभी पीछे से किसी वाहन की आवाज़ उसके कानों में पड़ी। नसीमा ने दौड़ते हुए ही
उत्सुकतावश अपनी गर्दन पीछे घुमा ली। चल रहा टैंकर बीच सड़क पर रुक गया। उसमें से हेलमेट
पहने और राइफल लिए एक वर्दीधारी फौजी नीचे उतरा।
वर्दीधारी चिल्लाया 'ए लड़की। आगे
बढ़ो। पीछे मत देखो। पीछे मत देखो।'
नसीमा भला कैसे पीछे मुड़कर न देखती? उसे लगता है कि पीछे छूटा शोरेउक टॉवर उसे हाथ के इशारे से बुला रहा है! अलायेन
पीछे से उससे कुछ पूछ रहा है। उसे दूर से अपनी माँ की आवाज़ सुनाई दे रही थी। माँ
उसे बुला रही है, 'नसीमा, नसीमा, कहाँ चली गई तुम?'
अनजाने में ही लड़की का सर और तन पीछे की तरफ मुड़ गया।
फिर उसी उन्मत्त सैनिक की दहाड़ 'पीछे मत देखो'। ... फायर।'
एक गोली की आवाज़!
आर्तनाद करते हुए नसीमा का बदन सड़क पर लोट गया। अब तक उसके हाथों ने जिस
केक के पैकेट को थाम रखा था वह हाथ से छिटक गया।
इस भूमंडल पर और बहुत सी गोलियों की आवाज़ों में इस पल की आवाज़ ऊपर के घने
वायुमंडल में समा गई।
##
आगे का रास्ता बिल्कुल खाली है। मिलिट्री टैंकर नसीमा के खून से लथपथ बदन
को अनदेखा करते हुए बहुत दूर चला
गया।
पास ही एक मृत विशाल पेड़ है - वहाँ से डैनों रहित दो कौवे उड़कर आए। वे
बच्ची के खून से लथपथ बदन के पास सड़क पर पड़े केक के पास बैठ गए।
कौवों ने देखा – अभी-अभी नसीमा की गुलाबी साँसें आसमान की तरफ उड़ चली हैं।
आसमान में उड़ान भरते-भरते नौ बरस की छोटी
बालिका नसीमा काले बुर्के से मुँह ढांपे एक मुस्लिम युवती में बदल रही है। पृथ्वी
से नसीमा को आसमां में आते देख अलायेन की आत्मा प्रफुल्लित हो उठी। देखते-देखते ही वह यहूदी पोशाक और टोपी से
सुसज्जित हो गया। अलायेन अब वही दस वर्षीय बालक नहीं है। भूमध्य सागर की नमकीन हवा
में वह एक शाँति दूत फिलिस्तीनी पुरुष है।
आसमान धुएँ से भरा हुआ है। अलायेन अपने हाथ के प्रिय गुलाब फूल को नसीमा की
तरफ बढ़ा रहा है। नसीमा से कहता है – 'सुनोगी नहीं अम्मी-अब्बू की वह गुप्त वार्ता ?'
युगों-युगों से इस इलाके में बमवर्षक विमान और हमलावरों की गोलियों की
आवाज़ें सुनाई देती चली आ रही हैं। भूमध्यसागरीय हवा में, एक जाति-वर्णहीन बालक और और बालिका के तन से अभी-अभी
निर्मुक्त हुई आत्मा का अंतरंग वार्तालाप तैर रहा है। उनकी वे सब प्रेममयी
बातें... विशाल पृथ्वी को लोगो, क्या तुम्हें कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा?
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लेखक परिचय
समरेंद्र बिश्वास
जन्म – 1957, कोलकाता। कविता और कहानियों के साथ-साथ गद्य की अन्य विधाओं में भी लेखन।भिलाई स्टील प्लांट, भिलाई से बतौर एक्सीक्युटिव सेवानिवृत्त। भिलाई से प्रकाशित बांग्ला पत्रिका मध्यवलय के प्रमुख संस्थापक और बंगीय साहित्य संस्था भिलाई से संबद्ध। 7 काव्य संग्रहों सहित फुफुर कॉफिन नामक एक कहानी संग्रह प्रकाशित। विभिन्न कहानियां देश की महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशित।
नीलम शर्मा ‘अंशु’
पंजाबी - बांग्ला
से हिन्दी और हिन्दी - बांग्ला से पंजाबी में अनेक महत्वपूर्ण साहित्यिक पुस्तकों के
अनुवाद प्रकाशित। अनेक लेख,
साक्षात्कार, अनूदित
कहानियां-कविताएं स्थानीय तथा राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
लगभग पचास हफ्तों तक एक राष्ट्रीय दैनिक में कोलकाता शहर की हिन्दी भाषी
ख्यातिप्राप्त महिलाओं पर कॉलम लेखन।
स्वतंत्र
लेखन के साथ - साथ 25 वर्षों से आकाशवाणी
एफ. एम. रेनबो पर रेडियो जॉकी। भारतीय
सिनेमा की महत्वपूर्ण शख्सीयतों पर ‘आज की शख्सीयत’ कार्यक्रम
के तहत् 75 से अधिक लाइव एपिसोड प्रसारित।
विशेष
उल्लेखनीय -
सुष्मिता
बंद्योपाध्याय लिखित ‘काबुलीवाले की बंगाली बीवी’ वर्ष 2002 के
कोलकाता पुस्तक मेले में बेस्ट सेलर रही। कोलकाता के रेड लाइट इलाके पर आधाऱित
पंजाबी उपन्यास ‘लाल बत्ती’
का हिन्दी अनुवाद। साहित्य अकादमी पुरस्कार से
सम्मानित लेखक देबेश राय के बांग्ला उपन्यास ‘तिस्ता
पारेर बृतांतों’
का
साहित्य अकादमी के लिए पंजाबी में अनुवाद ”गाथा
तिस्ता पार दी”।
साभार - कृति बहुमत पत्रिका, मई, 2025
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